तेरे तस्व्वुर ने किया पागल मुझे ,कोई दवा भी है नहीं हासिल मुझे।
किरदार मेरा हो चुका दरवेश सा, अपनी खुशी की पहना दे पायल मुझे।
ज़ख्मों की बारिश से बचूं कैसे सनम,प्यारा है तेरी गलियों का दलदल मुझे।
कश्ती मेरी लहरों की दीवानी हुई , मदमस्त साहिल ने किया घायल मुझे ।
तेरी अदाओं ने मुझे मारा है पर , दुनिया समझती अपना ही क़ातिल मुझे।
या मेरी तू चारागरी कर ठीक से , साबूत लौटा दे, या मेरा दिल मुझे ।
झुकना सिखाया वीर पोरष ने मुझे, दंभी सिकन्दर,ना समझ असफ़ल मुझे।
मन्ज़ूर है तेरी ग़ुलामी बा-अदब , है जान से प्यारा तेरा जंगल मुझे ।
तू खुदगरज़ सैयाद ,दानी इश्क़ में, पर मत समझना बेवफ़ा बुलबुल मुझे।
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